A Secret Weapon For baglamukhi shabar mantra
शाबर मत्रं अत्यधिक प्रभाव शाली है। क्या सटीक शत्रुओं को शांत किया जा सकता है? ज़रूर बताएं।
This offers them with a transparent class to adhere to in life. Baglamukhi is often a goddess, who wields a cudgel to demolish the problems that her worshippers endure.
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।
शमशान में अगर प्रयोग करना है तब गुरू मत्रं प्रथम व रकछा मत्रं तथा गूड़सठ विद्या होने पर गूड़सठ क्रम से ही प्रयोग करने पर शत्रू व समस्त शत्रुओं को घोर कष्ट का सामना करना पड़ता है यह प्रयोग शत्रुओं को नष्ट करने वाली प्रक्रिया है यह क्रिया गुरू दिक्षा के पश्चात करें व गुरू क्रम से करने पर ही विशेष फलदायी है साघक को बिना छती पहुँचाये सफल होती है।
To chant a Shabar mantra effectively, Sit easily and target your thoughts. Repeat the mantra with apparent pronunciation. Retain a gradual rhythm and breath, completing at least 108 repetitions.
जिव्हां baglamukhi shabar mantra कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा
आन हरो मम संकट सारा, दुहाई कामरूप कामाख्या माई की।‘‘
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ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।
यदि दीपक की लौ सीधी जाए, तो यह कार्य के शीघ्र सिद्ध होने का सूचक है। किंतु यदि लौ टेढ़ी जाती हो या बत्ती से तेल में बुलबुले उठें, तो कार्य की सिद्धि में विलंब होगा।
अथर्वा प्राण सूत्र् टेलीपैथी व ब्रह्मास्त्र प्रयोग्
शमशान भूमि पर दक्षिण दिशा की तरफ़ एक त्रिकोण बना कर त्रिकोण के मध्य में शत्रू का नाम उच्चारण करते हुए लोहे की कील ठोकने पर शत्रू को कष्ट प्राप्त होता है,
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।